ख़तना
ख़तना सुन्नत है और इस्लामी पहचान है इससे मुस्लिम व ग़ैरमुस्लिम में फर्क़ मालूम होता है इसलिए इसे मुसलमानी भी कहते हैं।
ख़तना का मतलब यह है कि मर्द के आला-ए-तनासुल (लिंग) पर आगे की तरफ़ जो फ़ालतू खाल होती है उसे काट दिया जाता है। हमारे हुज़ूरگ ख़तना किये हुए पैदा हुए। ख़तना बारह साल की उम्र तक कराई जा सकती है। यहूदी अपने बच्चों की पैदा होने के सातवें दिन ख़तना करा देते थे लिहाज़ा उनकी मुख़ालफ़त की वजह से थोड़ा इंतज़ार करना बेहतर है कि आगे के दाँत निकल आयें। बाज़ उलमा ने पैदाइश के सातवें दिन कराना भी जाइज़ बताया है। अगर बच्चा ख़तना हुए पैदा हुआ तो ख़तना की ज़रूरत नहीं। कोई बूढ़ा आदमी ईमान लाया और उसमें ख़तना कराने की ताक़त नहीं तो ख़तना की ज़रूरत नहीं।
ख़तना सुन्नत है और इस्लामी पहचान है इससे मुस्लिम व ग़ैरमुस्लिम में फर्क़ मालूम होता है इसलिए इसे मुसलमानी भी कहते हैं।
ख़तना का मतलब यह है कि मर्द के आला-ए-तनासुल (लिंग) पर आगे की तरफ़ जो फ़ालतू खाल होती है उसे काट दिया जाता है। हमारे हुज़ूरگ ख़तना किये हुए पैदा हुए। ख़तना बारह साल की उम्र तक कराई जा सकती है। यहूदी अपने बच्चों की पैदा होने के सातवें दिन ख़तना करा देते थे लिहाज़ा उनकी मुख़ालफ़त की वजह से थोड़ा इंतज़ार करना बेहतर है कि आगे के दाँत निकल आयें। बाज़ उलमा ने पैदाइश के सातवें दिन कराना भी जाइज़ बताया है। अगर बच्चा ख़तना हुए पैदा हुआ तो ख़तना की ज़रूरत नहीं। कोई बूढ़ा आदमी ईमान लाया और उसमें ख़तना कराने की ताक़त नहीं तो ख़तना की ज़रूरत नहीं।