Wednesday 7 December 2016

हज़रत हव्वा ے की पैदाइश 
जब फ़रिश्तों के सामने इब्लीस का घमण्ड ज़ाहिर हो गया और उस ने घमण्ड और सरकशी पर कमर बांध ली तो अल्लाह तआला ने उस पर लानत फ़रमाई आसमान और ज़मीन की हुकूमत उससे छीन ली और जन्नत की पहरेदारी से भी हटा दिया और फ़रमाया- “तू मरदूद है जन्नत से निकल जा अब क़यामत तक के लिए तुझ पर लानत है।”
इस के बाद अल्लाह ने हज़रत आदमے  को जन्नत में रहने का हुक्म फ़रमाया और इन पर ऊँघ डाल दी यानि उन पर नींद तारी हो गई। फिर इन की बायीं पसली में से एक पसली लेकर हव्वाے को पैदा फ़रमाया। आदमے  जब सोकर उठे तो अपने सिरहाने एक औरत  को खड़ा देखा। उन्होंने पूछा- “तुम कौन हो”…. कहा- “एक औरत” …….  फिर पूछा – “किस लिए पैदा की गई हो” ……वो कहने लगीं- “ताकि तुम मुझ से सकून हासिल कर सको।”
जब फ़रिश्तों को ख़बर हुई तो वो इस औरत को देखने आये और कहा ऐ आदम! इसका नाम क्या है ?…. आदमے   ने जवाब दिया- “हव्वा” ….. इन्होंने फिर पूछा- “ये नाम क्यों रखा?….. कहा- “’इस लिए की यह  “हइ”  यानि ज़िंदा इन्सान से पैदा की गई।” 

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