- जब तुम में से कोई खाना खाये तो सीधे हाथ से खाए और जब पिए तो सीधे हाथ से पिये कि शैतान उल्टे हाथ से खाता पीता है ।
(सही मुस्लिम)
- हर शख़्स बर्तन के उसी जानिब से खाए जो उस के सामने हो।
(सही अलबुख़ारी हज़रत अनस बिन मालिक रज़ी अल्लाह ताला अन्हु से रिवायत)
- इकठ्ठे होकर खाना खाओ और बिस्मिल्लाह पढ़ो तुम्हारे लिये इसमें बरकत होगी।
(सुनन अबू दाऊद, इमाम अहमद, अबू दाऊद, इब्ने माजा, हाकिम और हशी बिन हरब रज़ी अल्लाह ताला अन्हु से रिवायत)
- खाने को ठंडा कर लिया करो कि गरम खाने में बरकत नहीं।
(अल मुसतदरक लिल हाकिम, हाकिम जाबिर रज़ी अल्लाह ताला अन्हा से रिवायत)
- जब दस्तरख़्वान चुना जाये तो कोई शख़्स दस्तरख़्वान से न उठे जब तक दस्तरख़्वान न उठा लिया जाये और खाने से हाथ न खींचे अगर्चे खाना खा चुका हो जब तक सब लोग फ़ारिग़ न हो जायें और अगर हाथ खींचना ही चाहता है तो मआज़रत पेश करे क्योंकि अगर बग़ैर मआज़रत किये हाथ रोक लेगा तो उसके साथ जो दूसरा शख़्स खा रहा है शर्मिन्दा होगा और वह भी हाथ रोक लेगा और शायद उसके खाने की हाजत अभी बाक़ी हो।