खाने के बाद प्लेट में खाना छोड़ना
ज़रा सोचिए एक दावत में एक हज़ार लोग आए और हर एक ने एक एक निवाला भी छोड़ा तो इस एक हज़ार निवालों से कितने ग़रीबों का पेट भर जाता और अगर पूरा मुल्क या पूरी दुनिया इस पर अमल करे तो शायद लोखों लोगों का पेट भर सकता है। क़ायदा यह होना चाहिए कि प्लेट में उतना ही निकाले जितना खाना चाहता है ज़रूरत हो तो दोबारा निकाल ले जूठा न छोड़ें क्योंकि आजकल लोग दूसरे का जूठा नहीं खाते जब कि मुसलमान का जूठा पाक है बल्कि माँ बाप का या किसी बुज़ुर्ग का झूठा तो बरकत वाला है। किसी को कोई ऐसी बीमारी है जिससे कराहियत हो तो उसका जूठा न खायें।
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