Friday 16 December 2016

ख़ूब पेट भर कर खाना
पेट का एक तिहाई खाने के लिए एक तिहाई पानी के लिए एक तिहाई हवा के लिए रखें। जब ख़ूब भूख लगे तब खायें और थोड़ी सी भूख बाक़ी रहे तो खाना छोड़ दें यह सेहत के लिए बहुत अच्छा है लेकिन अगर उसे यह अन्देशा है कि शाम का खाना देर में मिलेगा या कल का रोज़ा अच्छी तरह रख लेगा तो पेट भर का खा लेने में हरज नहीं, अगर मेहमान के साथ थोड़ा ज़्यादा खा लिया तो हरज नहीं या इबादत के लिए ताक़त हासिल करने के लिए भी जाइज़ है। लेकिन इतना भी न खायें कि पेट ख़राब हो जाए। मुख़्तसर यह कि नियत सही हो, तरह तरह के मज़े लेने से बचे। कभी कभी भूखा भी रहे यानी फ़ाक़ा कर लिया करे इसके बड़े फ़ज़ाइल हैं कि जब भूखा रहता है तो दुनिया की ख़्वाहिशात उसे नहीं सतातीं और नेकियों की तरफ़ रग़बत होती है ग़रीब की भूख का एहसास होता है जहन्नम में हमेशा भूखा रहेगा यह सोच कर दिल आख़िरत की तरफ़ राग़िब होता है।

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