Friday 9 December 2016

अल्लाह तआला ने दुनिया में बहुत से नबी और रसूल भेजे। जिन्होंने अपनी क़ौम को इबादत की तरफ बुलाया और एक अल्लाह की इबादत करने को कहा। कुछ लोग उन पर ईमान लाये और उनकी बताई हुई बातों पर अमल किया और अल्लाह के शुक्र गुज़ार बन्दों में शामिल हुए। अल्लाह ने उनको अपने वादे के मुताबिक़ दुनिया और आख़िरत दोनों की नेअमतें अता कीं। लेकिन कुछ लोगों ने अपने नबियों को झुठलाया और अपनी सरकाशी पर डटे रहे ,बुतपरस्ती करते रहे। तो उनको दर्दनाक अज़ाब ने आ घेरा। जिसमे क़ौम-ए-नूह, क़ौम-ए-आद और क़ौम-ए-समूद वग़ैरा का ज़िक्र क़ुरआन पाक में किया गया है। इन्शाल्लाह आगे हम नबियों, उनकी क़ौमों और उनके ज़माने के हालात का बयान करेंगे।
अल्लाह तआला फ़रमाता है-
 “और मैं ने जिन्न और इन्सान को नहीं पैदा किया मगर इसलिये कि वो मेरी इबादत करें , मैं इनसे कुछ रिज़्क़ तलब नहीं करता और न ही चाहता कि वो मुझे खाना दें , बेशक अल्लाह ही बड़ा राज़िक़ बड़ी कुव्वत वाला ज़बरदस्त।”
(सूरह अज़्ज़ारियात, आयत-56-58)
यानि ज़मीन और आसमान और इनकी तमाम नेअमतें इंसानों के लिये पैदा की गईं और यह अल्लाह तआला का अपने बन्दों पर बहुत बड़ा एहसान है। जब बन्दा शुक्रगुज़ारी  करता है तो अल्लाह तआला इनामों को और बढ़ा देता है। ख़ुद क़ुरआन करीम मे अल्लाह ने वादा फ़रमाया है कि “याद रखो कि अगर शुक्रगुज़ार बनोगे तो मैं तुमको और ज़्यादा दूँगा और अगर मेरी नेअमतों का शुक्र अदा नहीं करोगे तो मेरी सज़ा बहुत सख़्त है।”
नबी-ए-करीम گ के इरशाद के मुताबिक़
“अल्लाह तआला ने ज़मीन को इतवार और पीर के दिन, पहाड़ों को और उसमें छिपे हुए ख़ज़ानों और मादनयात (खनिज) को मंगल के दिन पैदा फ़रमाया और पेड़-पौधे, शहर, आबादियाँ, वीरान जगहें बुध के दिन पैदा कीं, जुमेरात को आसमान को पैदा फ़रमाया और जुमे के दिन सूरज,चाँद, सितारे और फ़रिश्तों को पैदा फ़रमाया और जुमे की बची हुई बाक़ी तीन घड़ियों में से पहली घड़ी में लोगों की उमरें और दूसरी घड़ी में आफ़तों और मुसीबतों को पैदा फ़रमाया। तीसरी और आख़िरी घड़ी में आदम ے को पैदा फ़रमाया उनको जन्नत में रिहाइश अता की और फिर फ़रिश्तों को सजदे का हुक्म दिया सब फ़रिश्तों ने सजदा किया लेकिन इब्लीस जो जिन्नों में से था मगर फ़रिश्तों का मुअल्लिम था उसने सजदे से इन्कार किया और उसे इस वजह से उसे जन्नत से निकाल दिया। यह सब जुमे की आख़री घड़ी तक हुआ।”  
ज़मीन और आसमान को बनाने के बारे में बहुत सी आयात बयान की गई हैं लेकिन अब हम इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए अपने असली मकसद की तरफ़ आते हैं जिसकी वजह से यह तमाम कायनात बनाई गई।
 कायनात को अल्लाह तआला ने कितने दिन में बनाया?
क़ुरआन पाक में अल्लाह तआला इरशाद फ़रमाता है कि-
“फ़रमाइये क्या यक़ीनन तुम ज़रूर कुफ़्र करते हो उस (अल्लाह) के साथ जिसने दो दिन में ज़मीन बनाई और तुम उसके लिये शरीक ठहराते हो, यह है अज़मत वाला परवरदिगार सारे जहानों का। और ज़मीन में उसके ऊपर से भारी पहाड़ों को गाड़ दिया और उसमें (बहुत) बरकत फ़रमाई और एक अंदाज़े पर रख दीं उसमें उस (के रहने वालों) की ग़िज़ाएं चार दिन में, जो बराबर हैं तलब करने वालों के लिये। फिर क़स्द (इरादा) फ़रमाया आसमान की तरफ़ और वह धुँआ था तो उसको और ज़मीन को फ़रमाया कि दोनों हाज़िर हो जाओ ख़ुशी से या नाख़ुशी से, दोनों ने कहा हम हाज़िर हुए ख़ुशी से।  तो उन्हें पूरे सात आसमान बना दिया दो दिन में और हर आसमान में उसी आसमान से मुताल्लिक़ कामों का हुक्म भेजा और हमने दुनिया के आसमान को तारों से मुज़य्यन फ़रमाया (यानि सजा दिया) और उसे महफ़ूज़ कर दिया यह अन्दाज़ा मुक़र्रर किया हुआ है बड़े ज़बरदस्त बड़े इल्म वाले का।”
 (सूरह हाम मीम सजदा, आयत- 9-12)
यानि इस आयत में अल्लाह तआला फ़रमा रहा है कि तुम उस ख़ुदा से कुफ़्र करते हो यानि उस ख़ुदा को नहीं मानते जिस ने ज़मीन को दो दिन में पैदा किया, उसके लिये शरीक ठहराते हो जो दोनो आलम का रब है । इससे यह भी मालूम हुआ कि पहले ज़मीन को बनाया और फिर आसमानों को बनाया।
अल्लाह तआला फ़रमाता है-
 “और वह ही है जिसने रात और दिन और सूरज और चाँद को पैदा किया (चाँद-सूरज) हर एक अपने मदार (कक्षा) में तैर रहे हैं।”
(सूरह अल अम्बिया, आयत- 33)
और अल्लाह तआला इरशाद फ़रमाता है कि-
“अल्लाह वही है जिसने पैदा किया तुम्हारे लिए ज़मीन की सब चीज़ों को। फिर मुतावज्जह हुआ(यानि ध्यान दिया) आसमान की तरफ तो ठीक सात आसमान बनाए और वह हर चीज़ को ख़ूब जानता है।”
(सूरह अलबक़राह, आयत- 29)
ज़माना
ज़माना दिन और रात की घड़ियों और चाँद-सूरज का अपनी धुरी पर चक्कर लगाने का नाम है। ज़माना फ़ना होने वाली चीज़ है। और इसको फ़ना करने वाला अल्लाह तआला ही है। जिसने तमाम चीज़ों को पैदा किया।
क़ुरआन पाक में अल्लाह तआला फ़रमाता है –
  • और हम ने रात और दिन (अपनी क़ुदरत की) दो निशानियाँ बनाईं फिर हमने रात की निशानी मिटा दी और दिन की निशानी को रौशन बना दिया ताकि तुम अपने रब का फ़ज़्ल (रोज़ी) तलाश करो और जान लो बरसों (महीने व सालों) की गिनती और (दूसरा) हिसाब और हमने हर चीज़ को तफ़सील के साथ बयान कर दिया।
(सूरह बनी इसराईल, आयत-12)
  • वह ही है जिसने सूरज को जगमगाता हुआबनाया और चाँद को रौशन और उसके लिये मंज़िलें मुक़र्रर कीं ताकि तुम बरसों (सालों) की गिनती और हिसाब जान लो। अल्लाह ने उसे पैदा नहीं किया मगर हक़ के साथ। अपनी (क़ुदरत की) निशानियाँ वाज़ेह(खोल खोल कर पेश) फ़रमाता है इल्म वालों के लिये। बेशक रात और दिन के बदलने में और आसमानों और ज़मीनों में अल्लाह की पैदा की हुई हर चीज़ में, निशानियाँ हैं डरने वालों के लिये।
(सूरह यूनुस, आयत-5,6)
इन आयात से ये साबित हुआ कि ये सब चीज़ें यानि ज़मीन, आसमान, सूरज, चाँद, सितारे, दरिया, पहाड़, समुद्र, रात दिन वक़्त और ज़माने वग़ैरा को अल्लाह ने पैदा किया। यह सब अल्लाह की मख़लूक़ हैं यानि उसकी बनाई हुई या पैदा की हुई चीज़ें हैं और यह “हादिस” हैं यानि पहले नहीं थी बाद मैं अल्लाह ने  पैदा कीं।

कायनात की तख़लीक़ (रचना)

بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیۡمِ

अल्लाह तआला ने बग़ैर किसी ज़ाती ग़र्ज़ के तमाम मख़लूक़ को पैदा किया। ज़मीन और आसमान को पैदा किया । अल्लाह तआला ने चाँद और सूरज को बनाया, इन्सानों के लिए ज़मीन को बिछाया ताकि वो उसके साफ़ और खुले रास्तों पर चल सकें। आसमान को महफूज़ छत बनाया और इसे बहुत ऊँचा किया और इससे मूसलाधार बारिश बरसाई। एक मुक़र्रर तादाद मे रिज़्क उतारा। चाँद सूरज को निकाला और ग़ुरूब किया जिसके नतीजे में रात और दिन ज़ाहिर हुए। रात को लोगों के आराम के लिए और दिन को रोज़गार हासिल करने के लिये बनाया । चाँद-सूरज का निकलना और छिपना और रात-दिन का आना जाना अल्लाह तआला का अपने बन्दों पर बहुत बड़ा एहसान है।
हज़रत इदरीसے के वारिस
हज़रत इदरीसے के बाद इनके बेटे मतूशलख़ इनके जानशीन बने। ये अपने बाप-दादा के तरीक़े पर चले। मतूशलख़ ने 135 साल की उम्र में अरबा बिन्ते अज़ाज़ील से शादी की जिनसे इनके बेटे लमक पैदा हुए।
अल्हम्दु लिल्लाह हज़रत इदरीसے का बाब मुकम्मल हुआ। अम्बिया-ए-किराम के बारे में कुछ ग़लत रिवायात चली आ रही हैं हमारी कोशिश है कि सही मालूमात आप तक पहुँचाई जाये। जो तारीख़ का हिस्सा आप तक पहुँचाया गया उसमें भी यह एहतियात बरती गई है बाक़ी सब कुछ बेहतर जानने वाला अल्लाह है अगर कोई ग़लती हो गई हो तो अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त हमे माफ़ फरमाये आमीन!
नेक अमल में पहलः-
एक बार आपका दोस्त फ़रिश्ता आपके पास “वही” लेकर आया कि कुल “औलादे आदम” के बराबर आपके आमाल हैं। आपने सोचा मैं इससे बढ़कर  नेक आमाल करूँ तो आपने फ़रिश्ते से कहा कि “मलाकुल मौत” से कहो कि वह मेरी रूह क़ब्ज़ करने में जल्दी न करे ताकि मैं और नेक आमाल कर सकूँ।
इस फ़रिश्ते ने आपको परों पर बिठा कर चौथे आसमान पर पहुँचा दिया। वहाँ पहुँचे तो मलाकुल मौत को देखा।
फ़रिश्ते ने मलाकुल मौत से उनकी सिफारिश की-  मलाकुल मौत ने पूछा – वह कहाँ हैं? फ़रिश्ते ने जवाब दिया – मेरे बाज़ू पर बैठे हुए हैं।
मलाकुल मौत ने कहा-  “सुब्हानल्लाह” मुझे अभी हुक्म हुआ कि इदरीसے की रूह चौथे आसमान पर क़ब्ज़ करो। मैं इस फ़िक्र मे था कि वो ज़मीन पर हैं यह कैसे मुमकिन  है कि मैं उनकी रूह चौथे आसमान पर क़ब्ज़ करूँ।
लिहाज़ा आपकी रूह चौथे आसमान पर क़ब्ज़ कर ली गई। इसी लिए अल्लाह  तआला ने सुूरह मरियम में इरशाद फरमाया कि-  “हमने उन्हें बुलन्द मुक़ाम पर उठा लिया”।
कुछ उलमा-ए-किराम का मानना है कि उनकी रूह क़ब्ज़ नही की गई बल्कि वह ज़िन्दा ही आसमान पर हैं। लेकिन सही यही है कि उनकी चौथे आसमान पर रूह क़ब्ज़ की गई। (वल्लाहु आलम)
वाज़ और ख़िताबत की शुरुआत
सबसे पहले वाज़ और ख़िताबत की शुरुआत भी आपने ही की। जब हज़रत आदमے इस दुनिया से रुख़्सत हुऐ तो आपने अपनी क़ौम को जमा किया और उनके सामने वाज़ किया जिसमे आपने अल्लाह तआला की फ़रमांबरदारी और शैतान की नाफ़रमानी का हुक्म दिया और क़ाबील की औलाद से न मिलने की नसीहत की। इस तरह आपने बक़ायदा वाज़  करने की बुनियाद डाली।
कपड़े को सीकर पहनना
आपने ही सब से पहले कपड़े को सीकर पहना। इससे पहले जिस्म छुपाने के लिये जानवर की खाल और  ऊन की चादर जिस्म छुपाने के लिये इस्तेमाल की जाती थी।
क़लम से लिखने की शुरुआत और इल्मे रमल की ईजाद
आप क़लम से लिखने वाले पहले शख़्स हैं इसके अलावा आपने “इल्मे रमल” ईजाद किया। यह एक इल्म है जिसमे ज़मीन पर लकीरे खीँच कर छिपी हुई बातों के बारे में मालूम किया जाता है। इससे मुताल्लिक़ एक हदीस में है कि मुहम्मदگसे जब इल्मे रमल के बारे में पूछा गया तो आपने फ़रमाया कि यह एक पैग़म्बर थे जो रेत पर ख़त खींचा करते थे बस जिसका ख़त इनके मुताबिक़ हो जाये उसे अच्छी चीज़ों का इल्म हो जाता है। इसी की वजह से आपका लक़ब “हरमतुल हरामसा” पड़ा। जिसके मानी है “इल्मे नजूम यानि सितारों के इल्म का माहिर।”

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