अल्लाह तआला फ़रमाता है-
“और मैं ने जिन्न और इन्सान को नहीं पैदा किया मगर इसलिये कि वो मेरी इबादत करें , मैं इनसे कुछ रिज़्क़ तलब नहीं करता और न ही चाहता कि वो मुझे खाना दें , बेशक अल्लाह ही बड़ा राज़िक़ बड़ी कुव्वत वाला ज़बरदस्त।”
(सूरह अज़्ज़ारियात, आयत-56-58)
यानि ज़मीन और आसमान और इनकी तमाम नेअमतें इंसानों के लिये पैदा की गईं और यह अल्लाह तआला का अपने बन्दों पर बहुत बड़ा एहसान है। जब बन्दा शुक्रगुज़ारी करता है तो अल्लाह तआला इनामों को और बढ़ा देता है। ख़ुद क़ुरआन करीम मे अल्लाह ने वादा फ़रमाया है कि “याद रखो कि अगर शुक्रगुज़ार बनोगे तो मैं तुमको और ज़्यादा दूँगा और अगर मेरी नेअमतों का शुक्र अदा नहीं करोगे तो मेरी सज़ा बहुत सख़्त है।”
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