नेक अमल में पहलः-
एक बार आपका दोस्त फ़रिश्ता आपके पास “वही” लेकर आया कि कुल “औलादे आदम” के बराबर आपके आमाल हैं। आपने सोचा मैं इससे बढ़कर नेक आमाल करूँ तो आपने फ़रिश्ते से कहा कि “मलाकुल मौत” से कहो कि वह मेरी रूह क़ब्ज़ करने में जल्दी न करे ताकि मैं और नेक आमाल कर सकूँ।
इस फ़रिश्ते ने आपको परों पर बिठा कर चौथे आसमान पर पहुँचा दिया। वहाँ पहुँचे तो मलाकुल मौत को देखा।
फ़रिश्ते ने मलाकुल मौत से उनकी सिफारिश की- मलाकुल मौत ने पूछा – वह कहाँ हैं? फ़रिश्ते ने जवाब दिया – मेरे बाज़ू पर बैठे हुए हैं।
मलाकुल मौत ने कहा- “सुब्हानल्लाह” मुझे अभी हुक्म हुआ कि इदरीसے की रूह चौथे आसमान पर क़ब्ज़ करो। मैं इस फ़िक्र मे था कि वो ज़मीन पर हैं यह कैसे मुमकिन है कि मैं उनकी रूह चौथे आसमान पर क़ब्ज़ करूँ।
लिहाज़ा आपकी रूह चौथे आसमान पर क़ब्ज़ कर ली गई। इसी लिए अल्लाह तआला ने सुूरह मरियम में इरशाद फरमाया कि- “हमने उन्हें बुलन्द मुक़ाम पर उठा लिया”।
कुछ उलमा-ए-किराम का मानना है कि उनकी रूह क़ब्ज़ नही की गई बल्कि वह ज़िन्दा ही आसमान पर हैं। लेकिन सही यही है कि उनकी चौथे आसमान पर रूह क़ब्ज़ की गई। (वल्लाहु आलम)
No comments:
Post a Comment