इब्ने मसऊद ک, इब्ने अब्बासک और दूसरे सहाबा-ए-किराम की रिवायतों के मुताबिक़-
अल्लाह तआला ने जब आदम ے के पुतले में रूह फूंकना चाही तो फ़रिश्तों से फ़रमाया कि जब मैं इसमें रूह फूंक दूँ तो तुम उसके सामने सजदे में गिर जाना। फिर जब अल्लाह तआला ने आदम ے के जिस्म में रूह फूंकी तो वह सिर की तरफ़ से जिस्म में दाख़िल हुई जिसकी वजह से आदम ے को छींक आ गई जिस पर फ़रिश्तों ने कहा “अल्हम्दुलिल्लाह” (यानि तमाम तारीफ़ें अल्लाह के लिए हैं) कहें। अलहम्दुलिल्लाह कहने पर अल्लाह ने कहा “रहमका रब्बिका” (यानि तुम्हारा रब तुम पर रहम करे)। जब रूह आँखों में दाख़िल हुई तो आदम ے ने जन्नत के फल और मेवों को देखा। पेट में पहुँची तो खाने की ख़्वाहिश पैदा हुई और आदम ے पैरों और टाँगों में रुह पहुँचने से पहले ही उन फलों और मेवों की तरफ़ कूद पड़े। क़ुरआन पाक में इसी जल्दबाज़ी की तरफ़ इशारा करते हुए अल्लाह तआला ने फ़रमाया कि – “बेशक इंसान जल्द बाज़ है”।
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