हज़रत अबू हुरैराؓसे रिवायत है कि नबी-ए-करीमگ ने फ़रमाया इलाही सिर मुँडाने वालों को बख़्श दे, सिहाबा ने अर्ज़ किया या रसूलुल्लाह बाल कतरने वालों को भी, फिर आप گ ने फ़रमाया इलाही सिर मुँडाने वालों की बख़्शिश फ़रमा, सिहाबा ने फिर अर्ज़ किया या रसूलुल्लाह बाल कतरने वालों को भी, आप گ ने फिर फ़रमाया इलाही सिर मुँडाने वालों की बख़्शिश फ़रमा, फिर अर्ज़ किया गया या रसूलुल्लाह बाल कतरने वालों को भी, आप گ ने फ़रमाया और बाल कतरने वालों की भी (मग़फि़रत फ़रमा दे)।
मौअल्लिफ़ (Author) के दिल में यह सवाल आता है कि वुज़ू मेें सिर का मसह फ़र्ज़ है हालांकि बालों में मसह करने से सही मसह हो जाता है लेकिन मसह की हक़ीक़त नहीं पाई जाती मगर सिर मुँडाने में।
इसी लिये हज़रत अली करमल्लाह वजहु से मरवी है कि आप रोज़ाना सिर मुँडाया करते थे’’
No comments:
Post a Comment