इब्ने अब्बासک से रिवायत है कि–
अल्लाह तआला ने सब से पहले आदम ے के जिस्म में रूह फूंकी तो वह सिर की तरफ़ से जिस्म में दाख़िल हुई और जिस्म के जिस हिस्से में पहुँचती वह गोश्त और ख़ून में तबदील हो जाता। जब रूह नाफ़ की जगह पहुँची तो आदमے ने अपने जिस्म को देखा तो वह बहुत ख़ूबसूरत मालूम हुआ आदम ے ने उठना चाहा तो उठ न सके अल्लाह तआला ने फ़रमाया कि – “बेशक इंसान जल्द बाज़ है”। आगे फ़रमाया “आदम से मारे ख़ुशी के सब्र न हो सका”। फिर जब तमाम जिस्म में रूह फैल गई तो आदम ےको छींक आई और उन्होंने “अल्हम्दुलिल्लाह” (तमाम तारीफ़ें अल्लाह के लिए हैं) कहा यह अल्लाह की तरफ़ से इल्हाम की वजह से था अल्लाह ने फ़रमाया ऐ आदम! अल्लाह तुझ पर रहम करे।
फिर अल्लाह तआला ने आदम ے को इल्म अता किया और तमाम चीज़ों के नाम सिखाये।
No comments:
Post a Comment