अल्लाह
- सिर्फ़ वह ही उस लायक़ है कि उसकी इबादत की जाये ।
- वह किसी का मोहताज नहीं और तमाम जहान उसके मोहताज हैं।
- उसकी ज़ात को अक़्ल से समझना नामुमकिन है क्योंकि उसकी ज़ात का कोई भी इहातानहीं कर सकता यानि अपनी समझ के घेरे में नहीं ले सकता।
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