- क़ुरआन पाक जो कलामे इलाही है अगर कोई उसे मख़लूक़ माने तो इमाम आज़म अबू हनीफ़ा रह. और दूसरे इमामों ने उसे काफ़िर क़रार दिया है।
- उसको आलम की हर चीज़ का पूरा-पूरा इल्म है यहाँ तक कि दिल में आने वाले ख़्यालों का भी।
- उसके इल्म की कोई हद नहीं।
- हर ज़ाहिर (दिखने वाली) और छिपी हुई चीज़ उसे मालूम है।
- ज़ाती इल्म सिर्फ अल्लाह के लिए ही ख़ास है अगर कोई किसी और के इल्म को ज़ाती माने यानि अल्लाह के बग़ैर दिये माने तो वह काफ़िर है।
- हर चीज़ उसी की बनाई हुई है।
- वह ही सबको रोज़ी देता है।
- हर बुराई भलाई उसने अपने इल्म से मुक़द्दर कर दी यानि जैसा होने वाला था और जैसा कोई करने वाला था उसने अपने इल्म से लिख दिया। इसका मतलब यह नहीं कि जैसा उसने लिखा वैसा हमें करना पड़ा। उसके लिखने ने हमें मजबूर नहीं किया कि हम ऐसा करें बल्कि जो हम करने वाले थे उसने वह ही लिखा।
- अल्लाह सिम्त (दिशा), मकान, ज़माने वग़ैरा से पाक है।
- वह जो चाहे जैसा चाहे करे किसी को उस पर क़ाबू नहीं और न ही उसके मक़सद से उसे कोई रोक सकता है।
- उसे न तो नींद आती है और न ही ऊँघ।
- वह सारे जहानों का देखने वाला है। हमारा कोई भी काम उससे छिपा नहीं है।
- सारे जहान वालों का वह ही पालने वाला है।
- माँ-बाप से ज़्यादा मेहरबान और टूटे दिलों का सहारा है। सारी बड़ाईयाँ उसी के लिए हैं।
- गुनाहों का माफ़ करने वाला और तौबा क़ुबूल करने वाला है।
- ज़ालिम और गुनाहगारों पर क़हर और ग़ज़ब करने वाला है।
- वह जिसे चाहे इज़्ज़त दे और जिसे चाहे ज़िल्लत दे।
- वह जिसे चाहे मरदूद कर दे यानि अपनी रहमत से निकाल दे और जिसको चाहे अपनी रहमत से अपने पास कर ले
- वह जिसे चाहे दे और जिससे चाहे छीन ले।
- वह जो करता है वह ही अदल और इंसाफ़ है और वह ज़ुल्म से पाक है।
- उसके चाहे बग़ैर कुछ भी नहीं हो सकता।
- उसके हर काम में कोई राज़ या मसलेहत है, चाहे वह हमें मालूम हो या नहीं।
- उसने दुनिया की हर चीज़ को कुछ सिफ़त (ख़ासियत) दी है जैसे आग जलाती है, पानी प्यास बुझाता है, आँख देखती है, कान सुनते हैं वग़ैरा – वग़ैरा लेकिन अगर वह चाहे तो न आग जलाए, न पानी प्यास बुझाए जैसे इब्राहीम ے को जब भड़कती आग में डाला गया तो वह उनको कुछ भी नुक़सान न पहुँचा सकी।
Tuesday, 3 January 2017
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