अल्लाह
- वह हर मुमकिन पर क़ादिर है, जो चीज़ नामुमकिन हो अल्लाह उससे पाक है जैसे दूसरा ख़ुदा मुहाल (Impossible) है, वैसे ही उसकी फ़ना भी मुहाल (Impossible) है।
- वह हर ऐब और नक़्स(कमी) से पाक है। झूठ, दग़ा, ज़ुल्म, बेईमानी, जहालत, बेहयाई वग़ैरा ऐब हैं और यह सब उसके लिए मुहाल हैं।
- वह ज़िंदा है और सबकी ज़िंदगी उसके इख़्तियार (क़ब्ज़े) में है। वह जब चाहे, जिसे चाहे जिलाये (यानि ज़िंदगी दे) और जब चाहे, जिसे चाहे मौत दे।
- हयात, क़ुदरत, सुनना, बोलना, देखना, चाहना और इल्म वग़ैरा उसकी ज़ाती सिफ़ात हैं लेकिन उसका सुनना कानो से नहीं, बोलना ज़ुबान से नही और देखना आँखो से नहीं, यह सब जिस्म हैं और अल्लाह जिस्म से पाक है।
- वह हर धीमी से धीमी आवाज़ सुनता है और हर उस छोटी से छोटी चीज़ को भी देखता है जो माइक्रोस्कोप से भी नज़र न आए।
- उसकी और सिफ़ात की तरह, उसका कलाम भी क़दीम यानि हमेशा से है हादिस या मख़लूक़ नहीं।
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