वो जाइज़ बातें जो एहराम में हराम हैं।
بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیۡمِ
- बीवी से हमबिस्तरी करना, चूमना, गोद में लेना, गले लगाना, उसकी शर्मगाह पर नज़र करना, शहवत के साथ छूना, औरतों के सामने हमबिस्तरी या चूमने का ज़िक्र करना या बेहूदा बकवास करना।
- गुनाह हमेशा हराम थे अब और सख़्त हराम हो गये।
- किसी से दुनियावी लड़ाई झगड़ा करना।
- जंगल का शिकार ख़ुद करना, शिकार की तरफ़ शिकार करने का इशारा करना या किसी तरह बताना, बन्दूक या बारूद या उसके ज़बह करने का औज़ार देना, शिकार के अन्डे तोड़ना, पर उखाड़ना, पाँव या बाज़ू तोड़ना, शिकार का दूध दुहना, शिकार का गोश्त या अन्डे पकाना या भूनना, बेचना, ख़रीदना या खाना।
- अपने या दूसरे का नाख़ून कतरना या दूसरे से अपने कतरवाना, सिर से पाँव तक कहीं से कोई बाल किसी तरह अलग करना।
- मर्द को सिर ढकना या उस पर कुछ रखना यहाँ तक की अमामा बाँधना भी मना है और एहराम के दौरान सब नमाज़ें खुले सिर से पढ़ें।
- बुर्क़ा, दस्ताने या मोज़े वग़ैरा पहनना जो पैर के ऊपरी हिस्से को छुपाये और मर्दों को सिला हुआ कपड़ा पहनना।
- मर्द एहराम के दौरान ऐसा जूता या स्लीपर न पहने जिससे पैर के ऊपर की तरफ़ की उभरी हुई हड्डी ढक जाये। अगर ग़लती से एक दिन या एक रात पहन लिया तो दम वाजिब हो जाएगा।
- मर्द और औरत को एहराम की हालत में अपने चेहरे को इस तरह ढकना मना है कि कपड़ा चेहरे को लगे।
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