इतने अधिकार प्रदान करके औरत को बिल्कुल आजाद भी नही छोड़ा, बल्कि उसे कुछ बातों का पाबन्द भी किया:
1-औरत इस तरह रहे कि जब उसका पति उसे देखे तो खुश हो जाय। जब कोर्इ हुक्म दे तो उसे पूरा करें। पति अगर दूर हो तो उसकी सम्पत्ति और अपने सतीत्व की सुरक्षा करें। ऐसी ही स्त्री आदर्श पत्नी समझी जायेगी।
2-सुशीला पत्नी का मिल जाना अमूल्य पूंजी के बराबर हैं।
3-जो पांचो समय की रोजाना नमाज पढ़े, रमजान के रोजे रखे और अपने पति का कहा माने तथा अपने सतीत्व की सुरक्षा करें, ऐसी औरत जिस रास्ते से चाहे जन्नत में प्रवेश करें।
4-दुनिया की सारी दौलत से ज्यादा कीमती चीज पाक दामन बीबी हैं।
इस तरह प्यारे नबी स0 ने औरतों को अधिकार भी दिये और उन्हे उनके कर्तव्यो से भी बाखबर किया।
किसी को आपत्ति हो सकती हैं कि औरतों को इतने सारे अधिकार प्रदान करने वाले इस्लाम में बहुपत्नीवाद की अनुमति क्यों हैं? क्या यह औरतों पर खुला जुल्म नहीं हैं। इस सिलसिले में हमे इतिहास, पुरूष के स्वभाव और जिन्दगी के व्यावहारिक मसलों को सामने रखना होगा।
1-औरत इस तरह रहे कि जब उसका पति उसे देखे तो खुश हो जाय। जब कोर्इ हुक्म दे तो उसे पूरा करें। पति अगर दूर हो तो उसकी सम्पत्ति और अपने सतीत्व की सुरक्षा करें। ऐसी ही स्त्री आदर्श पत्नी समझी जायेगी।
2-सुशीला पत्नी का मिल जाना अमूल्य पूंजी के बराबर हैं।
3-जो पांचो समय की रोजाना नमाज पढ़े, रमजान के रोजे रखे और अपने पति का कहा माने तथा अपने सतीत्व की सुरक्षा करें, ऐसी औरत जिस रास्ते से चाहे जन्नत में प्रवेश करें।
4-दुनिया की सारी दौलत से ज्यादा कीमती चीज पाक दामन बीबी हैं।
इस तरह प्यारे नबी स0 ने औरतों को अधिकार भी दिये और उन्हे उनके कर्तव्यो से भी बाखबर किया।
किसी को आपत्ति हो सकती हैं कि औरतों को इतने सारे अधिकार प्रदान करने वाले इस्लाम में बहुपत्नीवाद की अनुमति क्यों हैं? क्या यह औरतों पर खुला जुल्म नहीं हैं। इस सिलसिले में हमे इतिहास, पुरूष के स्वभाव और जिन्दगी के व्यावहारिक मसलों को सामने रखना होगा।
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