Saturday 3 December 2016


इस्लाम से पहले आमतौर से हर समाज और हर सोसाइटी में औरत को हीन समझा था। उसका अपमान किया जाता और तरह-तरह के अत्याचारों का उसे निशाना बनाया जाता था।

•    भारतीय समाज में पति के मर जाने पर पति की लाश के साथ पत्नी को भी जिन्दा जल जाना पड़ता था।
•    चीन में औरत के पैर में लोहे के तंग जूते पहनाए जाते थें।
•    अरब में लड़कियों को जीवित गाड़ दिया जाता था। 
इतिहास गवाह हैं कि इन अत्याचारों के विरूद्ध आवाज उठाने वाले सुधारक निकटवर्ती युग में पैदा हुए हैं, लेकिन इन सभी सुधारकों से शताब्दियों पहले अरब देश में प्यारे नबी सल्ल0 औरतों के हितैषी के रूप में नजर आते हैं और औरतों पर ढाये जाने वाले अत्याचारों का खात्मा कर देते हैं। 

औरत के अधिकारों से अनभिज्ञ, अरब समाज मे प्यारे नबी सल्ल0 ने औरत को मर्द के बराबर दर्जा दिया। औरत का जायदाद और सम्पत्ति मे कोर्इ हक न था, आप स0 ने विरासत मे उसका हक नियत किया। औरत के हक और अधिकार बताने के लिए कुरआन मे निर्देश उतारे गये।

मॉ-बाप और अन्य रिश्तेदारों की जायदाद में औरतों को भी वारिस घोषित किया गया। आज सभ्यता का राग अलापने वाले कर्इ देशों में औरत को न जायदाद का हक हैं न वोट देने का। इंग्लिस्तान में औरत को वोट का अधिकार 1928 र्इ0 पहली बार दिया गया। भारतीय समाज मे औरत को जायदाद का हक पिछले दिनों में हासिल हुआ। 

लेकिन हम देखते हैं कि आज से चौदह सौं वर्ष पूर्व ही ये सारे हक और अधिकार नबी स0 ने औरतों को प्रदान किये। कितने बड़े उपकार कर्ता हैं आप!

आप स0 की शिक्षाओं में औरतों के हक पर काफी जोर दिया गया हैं। आप स0 ने ताकीद की लोग इस कर्तव्य से गाफिल न हो और न्यायसंगत रूप से औरत को मारा-पीटा न जाय।

औरत के साथ कैसा बर्ताव किया जाय, इस सम्बन्ध मे नबी स0 की बातों का अवलोकन कीजिए: 

(1) अपनी पत्नी को मारने वाला अच्छे आचरण का नही हैं। 
(2) तुममें से सर्वश्रेष्ट व्यक्ति वह हैं जो अपनी पत्नी से अच्छी सूलूक करे।
(3) औरतों के साथ अच्छे तरीके से पेश आपे का खुदा हुक्म देता हैं, क्योकि वे तुम्हारी मॉ, बहिन और बेटियॉ हैं। 
(4) मां के कदमों के नीचे जन्नत हैं।
(5) कोर्इ मुसलमान अपनी पत्नी से नफरत न करें। अगर उसकी कोर्इ एक आदत बुरी हैं तो उसकी दूसरी अच्छी आदत को देख कर मर्द को खुश होना चाहिए।
    
(6) अपनी पत्नी के साथ दासी जैसा व्यवहार न करो। उसको मारो भी मत। 

(7) जब तुम खाओं तो अपनी पत्नी को भी खिलाओं । जब तुम पहनो तो अपनी पत्नी को भी पहनाओं 

(8) पत्नी को ताने मत दों। चेहरे पर न मारो। उसका दिल न दुखाओं। उसकी छोड़कर न चले जाओं।
(9) पत्नी अपने पति के स्थान पर समस्त अधिकारों की मालिक हैं। 
(10) अपनी पत्नियों के साथ जो अच्छी तरह बर्ताव करेंगे, वही तुम में सबसे बेहतर हैं।

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