Monday 5 December 2016

पत्नी
वर चुनने का अधिकार : इस्लाम ने स्त्री को यह अधिकार दिया है कि वह किसी के विवाह प्रस्ताव को स्वेच्छा से स्वीकार या अस्वीकार कर सकती है। इस्लामी कानून के अनुसार किसी स्त्री का विवाह उसकी स्वीकृति के बिना या उसकी मर्जी के विरुद्ध नहीं किया जा सकता।
बीवी के रूप में भी इस्लाम औरत को इज्जत और अच्छा ओहदा देता है। कोई पुरुष कितना अच्छा है, इसका मापदण्ड इस्लाम ने उसकी पत्नी को बना दिया है। इस्लाम कहता है अच्छा पुरुष वही है जो  अपनी पत्नी के लिए अच्छा है। यानी इंसान के अच्छे होने का मापदण्ड उसकी हमसफर है। 
पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया-
तुम में से सर्वश्रेष्ठ इंसान वह है जो अपनी बीवी के  लिए सबसे अच्छा है। (तिरमिजी, अहमद)
शायद आपको ताज्जुब हो लेकिन सच्चाई है कि इस्लाम अपने बीवी बच्चों पर खर्च करने को भी पुण्य का काम मानता है।
 पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया-
तुम अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए जो भी खर्च करोगे उस पर तुम्हें सवाब (पुण्य) मिलेगा, यहां तक कि उस पर भी जो तुम अपनी बीवी को खिलाते पिलाते हो। (बुखारी,मुस्लिम)।
पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. ने कहा-
आदमी अगर अपनी बीवी को कुएं से पानी पिला देता है, तो उसे उस पर बदला और सवाब (पुण्य) दिया जाता है। (अहमद)
मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया-
महिलाओं के साथ भलाई करने की मेरी वसीयत का ध्यान रखो। (बुखारी, मुस्लिम)

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